Month: नवम्बर 2018

गलत पक्ष?

घाना, टेकिमैन को जानेवाला पुल बह गया, तानो नदी के उस पार न्यू क्रोबो के निवासी फंस गए l टेकिमैन में पास्टर शमूएल अप्पैयाह की कलीसिया की उपस्थिति घट गयी क्योंकि अधिकतर सदस्य न्यू क्रोबो में ही रहते थे - नदी के "गलत" तरफ l
संकट के मध्य, पास्टर सैम और भी अनाथों की देखभाल के लिए चर्च के वच्चों के होम को बढ़ा रहे थे l इसलिए उन्होंने प्रार्थना की l उसके बाद उनका चर्च न्यू क्रोबो में नदी के उस पार आउटडोर सभाओं को प्रायोजित किया l जल्द ही वे यीशु में नए विश्वासियों को बपतिस्मा दे रहे थे l एक नया चर्च स्थापित होने लगा l केवल यही नहीं, न्यू क्रोबो के चर्च के पास प्रतीक्षा कर रहे अनाथों की देखभाल करने के लिए स्थान भी था l परमेश्वर संकट के समय अपना दृढ़ करनेवाला कार्य बढ़ा रहा था l
जब पौलुस ने खुद को स्वतंत्रता के विपरीत "पक्ष" की ओर पाया, उसने अपनी स्थिति पर आँसू नहीं बहाए l फिलिप्पी के चर्च को एक सशक्त पत्री में, उसने लिखा, "हे भाइयों [और बहनों], कि तुम यह जान लो कि मुझ पर जो बीता है, उससे सुसमाचार ही की बढ़ती हुयी है" (फिलिप्पियों 1:12) l पौलुस ने ध्यान दिया कि किस प्रकार उसकी कैद से "राजभवन की सारी पलटन" मसीह के विषय जान पायी है (पद.13) l और दूसरों को यीशु का सुसमाचार सुनाने का ढाढ़स मिला है (पद.14) l
बाधाओं के बावजूद, पास्टर सैम और प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर को उनके संकट में नए मार्ग दिखाते हुए पाया l आज हमारी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में परमेश्वर क्या कर रहा है?

कठोर संवाद

मैं पचास मील गाड़ी चलाकर एक दूर के कार्यकर्ता से कठोर बातचीत करने गया l मुझे एक अन्य कर्मचारी से एक रिपोर्ट मिली थी जिसने यह सुझाया था कि वह हमारी कंपनी को गलत ढंग से पेश कर रहा था, और हमारे लोकमत के विषय मैं चिंतित था l मैं एक राय देने के लिए परेशान हुआ जो उसके चुनाव को बदल सकता था l
1 शमुएल 25 में, एक अविश्वसनीय व्यक्ति ने एक बड़ा व्यक्तिगत जोखिम उठाकर इस्राएल के भावी राजा का सामना किया जो एक विनाशकारी चुनाव करनेवाला था l अबीगैल का विवाह नाबाल से हुआ था, जिसका चरित्र उसके नाम के अर्थ के साथ मेल खाता था ("मूढ़") (पद.3, 25) l नाबाल ने दाऊद और उसकी सेना को उसके पशुओं की रक्षा के लिए प्रथागत मजदूरी का भुगतान करने से इनकार कर दिया था (पद.10-11) l यह सुनकर कि दाऊद ने उसके समस्त घराने से प्राणघाती बदला लेने की ठान ली है, और यह जानकार कि उसका मूर्ख पति कारण नहीं सुनेगा, अबीगैल ने शांति की पेशकश करके, दाऊद से मिलने गयी, और उसे पुनः विचार करने को राज़ी किया (पद.18-31) l
अबीगैल ने यह कैसे किया? दाऊद और उसके लोगों को संतुष्ट करने और ऋण चुकाने के लिए भोजन से लदे गधों को आगे भेजने के बाद, उसने दाऊद से सच बोला l उसने बुद्धिमानी से दाऊद को उसके जीवन की बुलाहट याद दिलाई l जब परमेशवर ने उसे राजा बनाया था, यदि वह बदला लेने की अपनी इच्छा को रोकता, तो उसे "इस कारण पछताना न [होता], या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होता कि तू ने अकारण खून किया" (पद.31) l
आप किसी को एक खतरनाक गलती के निकट जानते भी होंगे जिससे दूसरों को हानि पहुँच सकती है और परमेश्वर के लिए उसकी भावी प्रभावशीलता जोखिम में पड़ सकती है l अबीगैल की तरह, शायद परमेश्वर आपको एक कठोर संवाद के लिए बुला रहा होगा?

निर्माण न रोकें

जब काम में एक नयी भूमिका निभाने का अवसर मिला, साइमन ने उसे परमेश्वर की ओर से माना l निर्णय पर प्रार्थना करके और सलाह लेकर, उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसे और बड़ी जिम्मेदारी दे रहा है l सब कुछ ठीक था, और उसके बॉस ने उसके कदम को सराहा l तब बातें बिगड़ने लगीं l कुछ सहयोगियों ने उसकी पदोन्नति से अप्रसन्न होकर सहयोग बंद किया l वह यह जिम्मेदारी छोड़ने पर विचार करने लगा l
जब इस्राएली परमेश्वर का घर बनाने यरूशलेम लौटे, शत्रुओं ने उन्हें भयभीत और हतोत्साहित किया (एज्रा 4:4) l पहले तो इस्राएली ठहर गए, किन्तु परमेश्वर द्वारा हाग्गै और जकर्याह नबी के उत्साहवर्धन के बाद निर्माण जारी रहा (4:24-5:2) l
एक बार फिर, शत्रु उनको परेशान करने आए l किन्तु यह जानकार कि "परमेश्वर की दृष्टि उन पर [लगी हुयी है]" (5:5) वे लगे रहे l वे दृढ़ता से परमेश्वर के निर्देशों को थामे हुए और उसपर भरोसा करके हर एक विरोध के बीच निर्माण जारी रखा l निश्चित रूप से, परमेश्वर ने मंदिर निर्माण पूरा होने के लिए फारस के राजा का समर्थन उनकी ओर कर दिया (पद.13-14) l
उसी प्रकार, साइमन ने यह समझने के लिए परमेश्वर की बुद्धिमत्ता मांगी कि उसे वहाँ रहना चाहिए या नयी जगह खोजनी चाहिए l वहाँ रहने हेतु परमेश्वर की इच्छा को जानकार, उसने दृढ़ रहने के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा किया l समय के साथ, उसने धीरे-धीरे अपने सहयोगियों की स्वीकृति प्राप्त कर लिया l
जब हम परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, जहाँ भी वह हमें रखता है, हम विरोध का सामना कर सकते हैं l उसी समय हमें उसका अनुसरण करना होगा l वह हमारा मार्गदर्शन करते हुए हमें लिए चलेगा l

स्पर्श करने की ताकत

भारत में बीसवीं सदी के अग्रणी चिकित्सा मिशनरी डॉ. पॉल ब्रैंड ने कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक को देखा l एक मुलाकात के दौरान, उन्होंने मरीज को आश्वास्त करने के लिए छूआ कि इलाज संभव था l उस व्यक्ति के आँसू बहने लगे l एक परिचर ने यह कहते हुए डॉ. ब्रैंड को उस मरीज का आँसू समझाया, "आपने उसे छूआ और वर्षों से उसे किसी ने नहीं छूआ है l ये ख़ुशी के आँसू हैं l"
यीशु की आरंभिक सेवा में, एक कुष्ठ रोगी उसके पास आया l कुष्ठ सभी प्रकार के संक्रामक त्वचा रोगों के लिए प्राचीन सूचक था l पुराना नियम की व्यवस्था अनुसार इस व्यक्ति को अपने रोग के कारण अपने समाज से बाहर रहना अनिवार्य था l इत्तेफाक से रोगी का स्वस्थ्य व्यक्तियों के निकट संपर्क में आने पर उसे ऊँची आवाज़ में, "अशुद्ध! अशुद्ध!" पुकारना होता था जिससे लोग उससे दूर चले जाएँ (लैव्यव्यावस्था 13:45-46) l परिणामस्वरूप, उक्त व्यक्ति मानव संपर्क से महीनों या वर्षों तक दूर हो सकता था l
तरस से भरकर, यीशु ने हाथ बढ़ाकर उस व्यक्ति को छूआ l यीशु अपनी सामर्थ्य और अधिकार से मात्र एक शब्द बोलकर लोगों को चंगा कर सकता था (मरकुस 2:11-12) l लेकिन जब यीशु एक व्यक्ति से जो खुद को अपने शारीरिक बीमारी के कारण अकेला और तिरस्कृत महसूस करता था मुलाकात की, उसके स्पर्श ने उस व्यक्ति को निश्चित किया कि वह अकेला नहीं किन्तु स्वीकृत है l
जब परमेश्वर हमें अवसर देता है, हम सम्मान और महत्त्व के कोमल स्पर्श द्वारा करुणा और तरस दिखा सकते हैं l मानव स्पर्श की सरल, उपचार शक्ति, दुखित लोगों को हमारी देखभाल और चिंता लम्बे समय तक याद दिलाती है l

परमेश्वर कौन है के लिए धन्यवाद

ग्रीटिंग कार्ड्स पर मुद्रित हजारों भावनाओं में से, शायद सबसे मर्मस्पर्शी यह सरल कथन है: "आप के व्यक्तित्व के लिए धन्यवाद l" अगर आपको वह कार्ड प्राप्त होता है, तो आप जानते
हैं कि कोई आपकी परवाह करता है इसलिए नहीं क्योंकि आपने उसके लिए कुछ असाधारण किया है, लेकिन इसलिए कि आपके गुण के लिए आपकी सराहना की जाती है l
मैं सोचता हूँ कि इस तरह की भावना हमें परमेश्वर को "धन्यवाद" कहने का सबसे अच्छा तरीका बता सकती है l निश्चित रूप से, ऐसा समय होता है जब परमेश्वर हमारे जीवन में स्पष्ट तरीके से हस्तक्षेप करता है, और हम कुछ इस तरह कहते हैं, "धन्यवाद, परमेश्वर, मुझे वह नौकरी मिली l" किन्तु अक्सर, हम केवल यह कह सकते हैं, "परमेश्वर, आप के व्यक्तित्व के लिए धन्यवाद l"
इसी तरह की भावनाएं प्रगट करते कुछ पद, 1 इतिहास 16:34 : "यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; उसकी करुणा सदा की है l" परमेश्वर, आप जो हैं, भले और प्रेमी, उसके लिए धन्यवाद l और भजन 7:17 : "मैं यहोवा के धर्म(धार्मिकता) के अनुसार उसका धन्यवाद करूँगा l" परमेश्वर, आप जो हैं, पवित्र, उसके लिए धन्यवाद l "हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएँ, . . . क्योंकि यहोवा महान् ईश्वर है" (भजन 95:2-3) l परमेश्वर, आप जो हैं, संसार के सर्वशक्तिमान परमेश्वर, उसके लिए धन्यवाद l
परमेश्वर जो है l यह हमारे लिए ठहरकर उसकी स्तुति और धन्यवाद करने का पर्याप्त कारण है l परमेश्वर, आप जो है उसके लिए धन्यवाद!

खतरनाक विकर्षण

कलाकार सिग्सिमुंड गोएट्ज ने इंग्लैंड के विक्टोरियन-युग को "Despised and Rejected of Men" नामक एक पेंटिंग के साथ चौंका दिया l उसमें उसने पीड़ित, निन्दित यीशु को गोएट्ज़ के अपने युग के लोगों से घिरा हुआ दिखाया l वे अपने हितों से अत्यधिक बर्बाद हो रहे थे अर्थात् व्यापार, रोमांस, राजनीति - कि वे उद्धारकर्ता के बलिदान के प्रति अंजान थे l यीशु के क्रूस के नीचे की भीड़ की तरह, मसीह के प्रति उदासीन, आस-पास की भीड़, को बोध नहीं था कि उन्होंने क्या और किसे छोड़ दिया है l

हमारे युग में भी, सरलता से विश्वासी और अविश्वासी समान रूप से शाश्वत से विकर्षित हो जाते हैं l यीशु के अनुयायी परमेश्वर के महान प्रेम की सच्चाई के साथ इस धुंध से निकल सकते हैं? हम परमेश्वर के संगी बच्चे परस्पर प्रेम करके आरंभ कर सकते हैं l यीशु ने कहा, "यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो" (यूहन्ना 13:35) l
किन्तु वास्तविक प्रेम वहाँ नहीं रुकता है l हम उद्धारकर्ता की ओर लोगों को आकर्षित करने की आशा से उस प्रेम को सुसमाचार द्वारा साझा करते हैं l जिस प्रकार पौलुस ने लिखा, "हम मसीह के राजदूत हैं" (2 कुरिन्थियों 5:20) l

इस तरह, मसीह की देह परमेश्वर के प्रेम को, जिसकी हमें नितांत आवश्यकता है, परस्पर और अपने संसार के सामने परावर्तित और प्रक्षेपित भी कर सकती है l काश पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से, दोनों ही प्रयास, विकर्षणों से निकलने में सहायता करे, जो यीशु में परमेश्वर के प्रेम का आश्चर्य देखने में बाधित न कर सके l

प्रोत्साहित करने के लिए बाध्य

स्टीवन थॉम्पसन सेंटीपीड किसी अन्य के विपरीत एक क्रॉस-कंट्री प्रतियोगिता है l सात सदस्यों की प्रत्येक टीम एक इकाई के रूप में तीन मील की दौड़ की पहली दो मील एक रस्सी को पकड़कर दौड़ती है l दो मील के निशान पर टीम, रस्सी को छोड़ देती है और दौड़ को अलग-अलग ख़त्म करती है l इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति का समय, टीम की गति और उसकी अपनी गति का मेल होता है l
इस साल, मेरी बेटी की टीम ने ऐसी रणनीति का चयन किया जिसे मैंने पहले नहीं देखा था : उन्होंने सबसे तेज धावक को सबसे आगे और सबसे धीमे को उसके पीछे रखा l उन्होंने समझाया कि उनका लक्ष्य सबसे मजबूत धावक का सबसे धीमा धावक के निकट रहकर उसे उत्साहित करना था l
उनकी योजनाओं ने मुझे इब्रानियों की किताब से एक वाक्य दिखाया l लेखक हमसे "आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे" (इब्रानियों 10:23) रहने को कहता है जब "प्रेम और भले कामों में उसकाने के लिए हम एक दूसरे की चिंता" करते हैं (पद.24) l इसे पूरा करने के निश्चित रूप से कई तरीके हैं, लेकिन लेखक ने एक को हाईलाइट किया : "एक दूसरे के साथ इकठ्ठा होना न छोड़े, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें (पद.25) l जैसा कि हम सक्षम हैं, अन्य विश्वासियों के साथ इकठ्ठा होना विश्वास के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलु है l
जीवन की दौड़ कभी-कभी हमारे संभालने से अधिक महसूस होती है, और हम निराशा में रस्सी छोड़ने हेतु प्रेरित हो सकते हैं l हम साथ में दौड़ते समय, एक दूसरे को मजबूती से दौड़ने के लिए उत्साहित करें!

भोली भेड़, अच्छा चरवाहा

मेरा मित्र चाड ने वायोमिंग में एक वर्ष चरवाहे के रूप में बिताया l उसने कहा, "भेड़ें इतनी भोली होती हैं कि वे केवल अपने सामने की ही घास चरती हैं l" अपने सामने का पूरा घास चरने के बाद, वे घास का नया खंड नहीं ढूँढती हैं - वे कचरा खाना आरम्भ कर देंगी!"
हम हँसे, और मैं खुद से सोचने के लिए विवश हुआ कि कितनी बार बाइबल मनुष्यों की तुलना भेड़ से करती है l कोई आश्चर्य नहीं कि हमें चरवाहे की ज़रूरत है l किन्तु इसलिए कि भेड़ें इतनी भोली हैं, किसी भी चरवाहे से काम नहीं बनेगा l भेड़ों को परवाह करनेवाले चरवाहे की ज़रूरत है l जब नबी यहेजकेल ने परमेश्वर के निर्वासित लोगों को, बेबीलोन के बंधुआ, को लिखा, उसने उनकी तुलना भेड़ों से की जिनका नेतृत्व बुरे चरवाहे कर रहे थे l झुण्ड की देखभाल करने की बजाए, इस्राएल के अगुआ उनका शोषण कर रहे थे, उनसे लाभ उठा रहे थे (पद.3) और उनको जंगली पशुओं का आहार होने के लिए छोड़ दे रहे थे (पद.5) l
किन्तु वे आशा रहित नहीं थे l अच्छा चरवाहा, परमेश्वर ने, उनको शोषण करनेवाले अगुओं से छुड़ाने का वादा किया l वह उनको वापस घर लाने, हरा-भरा चारागाह, और विश्राम देने का वादा किया l वह घायलों को चंगा करेगा और खोए हुओं को खोजेगा (पद.11-16) l वह जंगली जानवरों को मिटा देगा, ताकि उसका झुण्ड सुरक्षित रहे (पद.28) l
परमेश्वर के झुण्ड के सदस्यों को कोमल देखभाल और मार्गदर्शन चाहिए l हम ऐसा चरवाहा पाकर कितने धन्य हैं जो हमें हरी चराइयों में ले चलता है! (पद.14) l

कौन चला रहा है?

मेरा पड़ोसी टिम ने अपने डैशबोर्ड पर मौरिस सेनडैक की बच्चों की प्रिय पुस्तक वेयर द वाइल्ड थिंग्स आर (Where the Wild Things Are) पर आधारित एक "जंगली चीज़" की मुर्तिका लगा रखी है l
कुछ समय पूर्व, टिम यातायात से होकर मेरा पीछा कर रहा था और कुछ असंगत कदम उठाकर मुझ तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था l जब हम पहुँच गए, मैंने पूछा, "क्या वह 'जंगली चीज़' गाड़ी चला रही थी l"
अगले रविवार मैं घर पर अपने उपदेश नोट्स भूल आया l मैं उसे लाने के लिए "शीग्रता से" चर्च से बाहर निकला, और उसी रास्ते से टिम गुज़रा l जब हम बाद में मिले, तो उसने मजाक किया, "क्या वह जंगली चीज गाड़ी चला रही थी?" हम हँसे, लेकिन उसका मुद्दा समझ में आ गया - मुझे गति सीमा पर ध्यान देना चाहिए था l
जब बाइबल बताती है कि परमेश्वर के साथ सम्बन्ध में रहने का क्या मतलब है, तो यह हमें "[अपने] हर हिस्से को अर्पित" करने के लिए प्रोत्साहित करता है (रोमियों 6:13) l मैंने अपना "सब कुछ," अर्पित करने के लिए उस दिन टिम की प्रतिक्रिया को परमेश्वर से एक सौम्य ताकीद के रूप में लिया, जिससे मुझे उसके प्रेम के कारण अपना सर्वस्व देना था l
"कौन चला रहा है?" का सवाल पूरे जीवन पर लागू होता है l क्या हम अपने पुराने पाप प्रकृति की "जंगली चीजें" को हमें चलाने देते हैं - जैसे चिंता, भय, या आत्म-इच्छा - या क्या हम खुद को परमेश्वर की प्रेमपूर्ण आत्मा और अनुग्रह के लिए अर्पित करते हैं जो हमें बढ़ने में मदद करते हैं?
परमेश्वर को अर्पित करना हमारे लिए अच्छा है l पवित्रशास्त्र कहता है कि परमेश्वर की बुद्धि हमें "आनंददायक [मार्ग पर ले चलती है] और उसके सब मार्ग कुशल के हैं" (नीतिवचन 3:17) l उसके मार्गदर्शन में चलना बेहतर है l